चारों दिशाएं घूम रही मैं कृष्णा को ढूंढ रही पागलपन में.…..

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" तू है मोती जगती ज्योति चारों दिशाएं रौशन हैं तेरी कृपा से हम जिंदा हैं अब सावन का मौसम है..........

तेरी जुदाई गहरी अपने आप को भून रही मैं कृष्णा को ढूंढ रही पागलपन में

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

आप सभी को

आप लोगो से बेनती है अगर कविता अछि लगी तो और लोगो के साथ सांझा जरूर करें

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