लघु हास्य कथा लक्ष्य प्राप्ति की कहानी – सड़क | Most inspiring stories in hindi

लघु हास्य कथा लक्ष्य प्राप्ति की कहानी – सड़क | Most inspiring stories in hindi रचना काल्पनिक विचारों पर आधारित है,Real life से इस रचना के पात्रों का कोई लेना – देना नहीं है.

लघु हास्य कथा सीताराम के आसपास घुमती है जो की एक छोटे से गांव में रहता है और मजदूरी करता है और दुसरी तरफ यह उम्मीद पर कहानी है, जो की आपको एक Massage देती है.

आपको एक प्रेरणा देती है ,कोई भी कार्य बडा – छोटा नहीं होता है,इस कहानी में सीतराम से आपको सीख मिलती है जो की एक लक्ष्य प्राप्ति की कहानी है.

लघु हास्य कथा लक्ष्य प्राप्ति की कहानी - सड़क | Most inspiring stories in hindi
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लघु हास्य कथा लक्ष्य प्राप्ति की कहानी – सड़क | Most inspiring stories in hindi

 

सुबह का समय है,सुबह के तकरीबन 4 बजे है,आकश में बादल छाऐ है,तेज ओैर ठंडी हवां चल रही hain कुछ समय के बाद बारिश होने लगी, Seetaram चारपाई पर सो रहा hain धीरे-धीरे बारिश {Rain} तेजी से होने लगी,कुछ समय के बाद दिन चढ़ जाता है.

 


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बारिश अभी भी तेजी से हो रही है, सीताराम चारपाई से उठा और उसने हाथ मुंह धोया मां उसके लिए खाना बना कर लाती है,तो खाना – खाने के बाद वह आकश की तरफ देखने लगा…… जिसको बादलों ने पूरी तरह ढक रखा है.

कुछ समय के बाद बारिश रुक गई,सीताराम ने अपना खाने वाला डब्बा उठाया और वह घर से काम के लिए निकल गया, साइकिल को उठाकर.सीताराम शहर में मजदूरी का काम करता है.

 


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सीताराम को शहर में काम करने के लिए जाना पड़ता है,तो शहर वाली सड़क { Road } पर चढ़ने के लिए उसको बहुत घूम कर आना पड़ता है इसमें उस सड़क तक पहुंचने के लिए तकरीबन 1 घंटे – से ऊपर का समय लग जाता है.

लेकिन,जो सीधी सड़क है वो रास्ता बहुत खराब है वहां पर  बड़े-बड़े पत्थर कहने का मतलब है कि पूरा रास्ता पत्थरों से ढका पड़ा है,जिसको हटाने का कोई नाम नहीं ले रहा………सीताराम इस बात को लेकर बहुत दुखी है.

वो सोचता कि उसका फालतू का जो समय है वह खराब हो जाता है, जबकि जो शॉर्टकट रास्ता है उसको कोई क्यों ठीक नहीं  करवाता.अगर यह ठीक हो जाऐ तो काफी समय बच जाऐगा.

 


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बारिश अभी भी हो रही है………. सीताराम थकहार का घर लौटता है,उसके कपड़े पूरी तरहां से गीले हो चूके है,कुछ समय अराम करने के बाद वो खाना – खाता है और कपड़े बदल कर घर से बाहर निकल जाता है.

 

कुछ समय के बाद,सीता राम गांव के मुखियां के घ्रर आता है,मुखियां चारपाई पर सो रहा है और उसके पास बैठा आदमी उसकी लातें दबा रहा होता है।

तभी बाहर से दरवोज के टक — टक की आवाज़ आती है,मुखियां सो रहा है कोई कुछ नहीं बोलता कुछ समय के बाद दरवाजे से फिर टक — टक की आवाज़ आती है।

आदमी ………कौन है?

बाहर से आवाज़ आती है की मैं हूं सीताराम मुखियां से मिलना है दरवाजा खोले आदमी लातेें दबाता रहता है।

आदमी………मालिक बाहर सीतराम आपसे मिलना चाहता है

मुखिया……..अब बारिश में उसको क्यां काम आ गया।

आदमी………अब यह तो वहीं जाने।

मुखिया……..ठीक है आने दे।

आदमी दरवाजें को खोलने के लिए जाता है

 


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आदमी दरवाजा खोजने के लिए बाहर जाता है …………… जैसे हीं उसने दरवाजा खोला तो देखा की वहां पर कोई नही था, आदमी उलटा हाथ मरते हुऐ वापिस आकर मुखियां की लांतें दबाने लगा…………… कुछ हीं समय के बाद { after the some time } फिर दरवाजे के टक— टक की आवाज़ आई.

 

मुखिया……………ऐ जा ना दरवाजा खोलने के लिए।

आदमी …….      पता नहीं कौन है सिरफिरा।

बाद में वो ​दरवाजा खोलने के लिए जाता है….देखा की बाहर बीडी पीते सीताराम खडा है।

आदमी ……..का है…कहे को बार — बार दरवाजा खटखटावात रहा?

सीताराम…….बीढी लेने के लिए चला गया था।

आदमी ……..का है …जलदी बता।

सीता राम ……मुखियां घर पर है का?

आदमी……….हां घर पर हीं हा।


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बाद में दोनो अंदर चले आऐ मुखियां सो रहा है और आदमी उसकी फिर से लातें दबाने लगा सीताराम बीढी पीता रहा।

आदमी………………अब बोलबो ना।

सीताराम………………..बीढी पीते राम राम मालिक।

मुखिया……………………अरे अरे ….सीता तूं इतनी बारिश में सब ठीक वां का।

सीताराम…………………..बीढी पीते हां मालिक …मालिक एक काम है वा।

मुखिया……………………….. बोलबा नांं

सीताराम…..वो गांव की सड़क के बारे में बात करनी थी।

मुखिया………………….. अब मेरे हाथ में कां बा….उपर से सरकार कोई पैसा दे तो बन जाऐगी।


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मुखिया…… ….. ….. अब तुम पहिले भी दो तीन बार बोल चूंके हो ….हमारे हाथ मां कुछ नाहीं।

सीताराम……. ….. ….. मालिक अगर बन जाऐ तो गांव वाले आधे समय में हीं पहुंच जाऐगे शहर।

मुखिया……. ….. ….. वो तो ठीक बा लेकिन खर्च कौन करेंगा बा हमारे हाथ मां कुछ नाहीं सीता।

सीताराम……. ….. ….. . ठीक है ….मैं खुद हीं यह काम करता हूं …चाहे मुझे महिने लग जाऐ।

यह कहते सीता बीढी पीते वहां से बाहर की तरफ चला गया.

 


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सुबह होती है

आकाश में बादल छाए हुए हैं ………….. बूंदाबांदी हो रही है,सीताराम ने चाय का गिलास नीचे रखा और घर से निकल पड़ा गांव की तरफ सीताराम ने काम चालू { Work } कर दिया.

उसने सबसे पहले छोटे – छोटे पथरों को हटाया ………….. लेकिन,इस काम में उसका एक हफ्ता निकल गया,आते जाते गांव वाले उसको मजाक करते………. तुमसे नहीं हो पाएगा सड़क बनाना सरकार का काम है.

 

सरकार को ही करने दो ना कि सड़क बनाना गांव वालों का काम है ………….. lekin सीताराम पर गांव वालों { Gaon walo } की बातों का कोई असर नहीं होता ………….. वह अपना काम करता रहता.

 

इसी तरह काम करते – करते  Seetaram बीमार पड़ गया ……….उसे बुखार चढ़ गया थकान की वजह से,लेकिन वह जल्द ही ठीक हो जाता है और फिर उसने काम Start कर दिया तकरीबन 1 महीने में जो भी छोटे बड़े पत्थर थे.

 

उसने उस रास्ते से हटा दिए और एक छोटी सी पटरी बना ली और अब बाकी था ……….कि उस पर मिट्टी डालकर ईट को रखना,बाद में सीताराम ने सड़क को मिट्टी से बराबर किया और फिर उस पर ईट लगाने लगा.

 

तो ऐसे करते-करते उसको उसने दस पंदरा दिनों में सड़क को बना दिया,लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी यह एक छोटी सड़क थी जिस पर कवेल साईकिल यां फिर पदैल चल कर हीं जाया जा सकता था।

पूरे गांव वाले उसके इस कान से हैरान थे और मुखिया भी हैरान था ………… कि उसने यह काम अकेले कर दिया जो काम सरकार पिछले 10 सालों से नहीं कर पाई………….. तो ऐसे बात होती होती जिले के सड़क दफ्तर पर पहुंचती है.

 

Department offcer सड़क देखने आता है और गांव वालों के बताने पर सीताराम को साबास देते है,आफसर ने सीताराम को बदलते में ईनाम दिया.तो अब गांव वालों को शहर जाने के लिए दूसरें गांव की सड़क से होकर शहर जाने की जरूरत नहीं थी अब वो इस रास्तें से हीं शहर चले जाते और सीताराम के इस काम से गांव वाले काफी खुश थे.


The End.

हमें इस छोटी रचना सड़क | Most inspiring stories in hindi से यही शिक्षा मिलती है …………. कि हम कोई भी काम से डरना नहीं चहिऐ चाहे वो कितना भी बडा क्यों ना हो ……अगर मन से डर निकाल देगें तो बडे से बडा काम छोटा और सरल लगने लगता है.


आप इस लक्ष्य प्राप्ति की कहानी से क्यां सीखते हो ?………….आपको कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स बना हुआ है अपनी राय देना ना भूलें ………….और हो सके तो अपने दोस्तों के साथ अपने भाई बहनों के साथ छोटी सी रचना को Share जरूर करें.

धन्यवाद

लेखिक :- Sukhwinder Dhimaan  


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