प्रेरणादायक लघु कहानी -बीज

One line :- रचना   प्रेरणादायक लघु कहानी -बीज  inspirational short story beej मुखियां के बारे में है,जिसके पास कोई औलाद नहीं है और जमीन के उसके पास 40 45 किलें है.

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motivational story in hindi for students | story Character | कहानी के पात्र inspirational short story beej.

1.राजकौर | 2.देवसिंह | 3.राजकुमारी | 4.चंचल | 5.हाकम सिंह | 6.अवतार सिंह.


Part no:1- प्रेरणादायक लघु कहानी -बीज

आसमान में बादल छाऐ है,लग रहा है की Barish होने वाली है,Bache खुशी के मारे इधर — उधर भाग रहे है,क्योंकि पछिले दो साल से गांव में बारिश नहीं हुई.इसके पीछे भी एक बजा है सूनिऐ ध्यान से आज से 3 साल पहिले की बात है दो साधू बाबा इस गांव में भीख मांगने आऐ ,उपर से बारिश से रही थी. 

 

प्रेरणादायक लघु कहानी -बीज | inspirational short story beej
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जो लोग समझदार थे उन्हों साधू बाबा को भीख डाल दी और Kuch logo ने बाबा को बूरा भला कहा साधू बाबा को गुस्सा आ गया और वो इस गांव के लोगों को गुस्से में बोले

” तुम लोग बारिश के लिए तरश जाउॅगें
लेकिन बारिश का पानी इस गांव को नसीब नहीं होगा।”

यह कहते बाबा वहां से आगे की तरफ चले गऐ.

इस बात को  Do saal  होने को चले है,गांव के लोग  बारिश के लिए तरश रहे है,कुछ लोग इसी बजा से गांव को छोड़ कर चले गए.

 


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आस – पास के लोग इसको बिना बारिश वाला गांव भी कहते है,ऐसा नहीं की गांव में बादल नहीं होते,बादल होते hain लेकिन वो ऐसे हीं वापिस लोट जाते है,इस बार भी कुछ ऐसा हीं हुआ बादल फिर लौट गए.


Part no 02:- Motivational short stories for students to work hard in hindi

 

देवसिंह ……….फिर लोैट गए बादल.

राजकौर ………आप तो कहते थे की ….आज बारिश पक्की समझों…अब कहां गई आपकी बारिश.

देवसिंह सिंह ………लगता है हमें भी गांव छोड़ कर जाना पडेगा.

राजकौर …………….ऐ जी पागल हो गए हो क्यां ?

देवसिंह ……………..पागल ?

राजकौर ……………पुरे 45 किलों जमीन के Hain हमारे पास …दुसरों गांव गए ..कल को अगर सभी Gaon के लोग इसी बजा से गांव छोड कर चले गए तो …गांव की पूरी जमीन हमारी हो जाऐग.

देव सिंह ……….अरे हम Time जमीन की बांतें करती रहती हो …उसका संभाले वाला हम देानों के बिना कोई नहीं है.

राजकौर …………रोज Bhagwan shiv shankar से कहती हूं की हमें एक पुत्र दे दे लेकिन …बोलें बाबा भी नही सुनते मेरी तो.

राजकौर ……….कभी — कभी तो लगता है की वो नाम के भोलेबाबा है.

देवसिंह ………..कहते है की भगवान god bhagwan के घर देर Hain मगर अंन्धेर नहीं …चिंता मत करें सब ठीक हो जाऐगा ….बाबा शंकर हमें एक पुत्र जरूर देगें यह मेरा दिल कहता है.

 


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राजकौर .………हम गोद ले लेते ऐ जी.

देवसिंह ……….अगर शंकर बाबा ने दे दिया तो.

राजकौर ……..फिर हमारे दो —दो पुत्र हो होगें.

देवसिंह ………ठीक है मैं Gaon में ठंडारें पिटवा देता हूं.

 


गांव का दृश्य

एक Admi जिसने गल में डोल पहना और Gone mein डोल बजाते फिर रहा है साथ में उॅची —उॅची आवाज़ में यह बोल रहा है।

” सुनों सुनों …भाईयों और बहनों सुनों सुनों….”

देवसिंह गांव का मुखिया सरपंच जी ने सभी गांव के लड़कों को अपने घर बूलाया है …शांम तक गांव के मुखिया जी के घर पहुंच जाना….सुनों ………. .सुनों गांवों वालोंं सुनों ”


कुछ बच्चें डोल वाले के पीछे जा रहे है,दो आरतें जिनके सिर पर पानी वाले गडे  hain आपिस में इस के बारे में बात करती है.

राजकुमारी ………..बहन ….मुखियां जी के यहां बच्चों का क्यां काम ?

चंचल ………पता नहीं बहन ….मेरी तो अभी – अभी शादी हुई है …मेरे पास तो बच्चा है नहीं.

राजकुमारी …….आज से पहिले कभी मुखियां ने ऐसा काम नीं क्यां.

चंचल ……………यह बात तो है …मुझे भी तीन महिनें होने को चले है यहां पर.

राजकुमारी ……..कोई तो बात है.

यह बातों करती वो आगे की तरफ चली गई,पीछे उनके एक कुता चंचल का पल्लू धरती पर गिरा था उसको दबाते आगे जा रहा था.


शाम का समय था |  Evening Time 

मुखियां और राजकौर चारपाई बैठे हुका पी रहे है,कुछ बच्चें और उनके माता —पिता नीचे चादर पर बैठे है.

राज कौर ………लगता है सभी छौकरें नहीं आऐ.

देवसिंह ………आ जाऐगे ……..सभी आ जाऐगे.

 

कुछ समय के बाद  सभी Bache वहां पर आ गए.

एक बच्चा …………….. मुखियां जी हमें यहां पर किस लिए भूलाया ?

देवसिंह ………….चारपाई से उठते…बैठ जाउॅग सभी को बताता हूं.

 

सभी बैठ गया,मुखियां और राजकौर यहां पर बैठे थे,वहां पर एक पेड था और पेड पर जनवर बैठे थें,सभी में से एक ने मुखियां के सिर पर बीठ कर दी,तो ऐसे होने से वहां पर बैठे सभी बच्चें जोर —जोर से हॅसने लगे.

राजकौर………….चुप हो जाउॅ….चुप हो जाउॅ.


बाद में राज कौर ने मुखियां के सिर को कपडे से साफ कर दिया,बाद में राजकौर सभी में से जो बच्चें 10 साल के थे उनको 10 बीज दिऐ

देवसिंह ……..बच्चें से

यह 10 बीज हमने तुम लोगों को जो दिऐ है …उनको गमले में लगा देना …और उनकी अच्छी तरहां से देखभाल करना….जिसका पेड सबसे अच्छा होगा उसको Enam मिलेगा…..अब तुम लोग जाउॅ….मैं तुम सबको …8 महिने के बाद बूलाउॅगा,बाद में सभी बच्चांे वहां से चले गऐ.

 


घर का सीन । 4 महिने के बाद

अवतार ………कमखब्त समझ में नीं आ रहा है की बीज की देखभाल पछिले तीन महिनों से कर रहा हूं …लेकिन यह अभी तक निकला क्यांे नहीं.

हाकम सिंह ……………..उसके पास बैठता …………क्यां देख रहे हो ?

 

अवतार सिंह …..देख रहा हूं

की पीछले तीन महिने से मैं इसकी देखभाल कर रहा हूं ...सबुह – शांम पानी देता हूं…धूप से बजाकर रखता हूं time two time पर इसको पानी से धोता हूं…लेकिन यह कमब्खत अभी तक नहीं निकला.

 

 


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हाकम सिंह …….. उसको दिलासा देता

बीज गमले से बाहर नहीं आया …यह समझ कर इसकी देखभाल करना बंद मत कर देना..एक ​नां एक दिन यह जरूर निकलेगा ….तुम देख लेना……..लेकिन,तुमको इसकी देखभाल जारी रखनी होगी ……कुछ बीज तब निकलते Hain, जब उनका निकलने का वक्त होता है.

 

अवतार सिंह ………..हां में सिर हीलाते ….ठीक ऐ पिता जी.

बाद में वो उठकर अंदर की तरफ चला गया. 

 


7 महिने बीत गए लेकिन वो बीज अभी तक नहीं निकला. 

मुखियां का घर  आखिर कार वो दिन पुरे हो गए जो दिन राजें ने ​गांव के बच्चों को दिऐ ​थे Rajkaur ने दीवार पर लिखे 8 महिने वाले डिब्बे पर काटी का निशान लगा दिया. देवसिंह बाहर से आया और उसने बालटी में से पानी का जग निकाला और पांव धोते अंदर की तरफ चला गया

राजकौर……………समय पुरा हो गया …जो हमने गांव के बच्चों को दिया था.

देवसिंह ………………………..ठीक है कल हीं डिडोरा पीटावा देते है.

राजकौर ……………………..कल का क्या मतलब …यह काम लगे हाथ आप आज हीं करें.

 


 

मुखियां का घर | गांव का सीन

आदमी जिसने गल में डोल पहना और गांव में डोल बजाते फिर रहा है साथ में उॅची —उॅची आवाज़ में यह बोल रहा है।

” सुनों सुनों …भाईयों और बहनों सुनों सुनों….।”

देवसिंह गांव का मुखिया सरपंच ने सभी गांव के लड़कों को अपने घर बूलाया …Evening  तक मुखिया जी के घर पहुंच जाना.

सुनों …सुनों गांवों वालोंं.

 


 

मुखियां का घर

सभी बच्चें जिनके हांथों में गमले Hain वहां पर पहुंच गए और काफी खुश नज़र आ रहे थें,वो इस लिए की मुखियां उनको ईनाम देगें,लेकिन Avtar singh सबसे अंत में पहुंचा हाथ में गमला था लेकिन बीच में से पेड नहीं निकला था,इस लिए वो थोडा उदास दिख रहा था.

उसके मन में यह भी बात चल रही थी की यह बात मुखियां से जरूर पछूगा की उनका दिया बीच क्यों नहीं निकला.

मखियां ………………….हम जिसको ईनाम देने जा रहे है उसका नाम है…अवतार सिंह है.


मुखियां की इस बात पर सभी  के चेहरे पर उदासी छा गई उन मेंं से एक ने खडे होकर पछूा

मुखियां जी ……यह क्या बात हुई आप इसको ईनाम क्यों दे रहे हो ?

 

मुखिया चारपाई पर बैठ गया और बोला

सुनों बच्चाों…………यहां पर मैं तुम लोगों को यह नहीं कहता की तुम लोगों ने मेहनत नहीं की तुम लोगों ने मेहनत की.

लेकिन बात अवतार सिंह की करें तो …असली मेहनत इस लड़के ने की है..भले हीं बीच में से पेड नहीं निकला लेकिन यह लगा रहा….इसने हिम्तत नहीं हारी…….इसका ईनाम यह है की यह आज से हमारा बेटा है ….क्यों यह वो लड़का है जो महेनत से कुछ भी कर सकता है.

 


सीख 

यह kahani से हमें यह सीख मिलती है,की हम जो भी जीवन में कार्य कर रहे है यां फिर हम अपनी मंजिल तक पहुचे के लिए जो Hardwork कर रहे है. हमें महेनत करते रहना चहिऐ.

क्यों कोई बार उसका फल लेट मिलता है,एक बार हार से मेहनत करना यां फिर हार मान कर अपनी मजिल से मुंह मोड अच्छी बात नहीं होगी,हमारा कार्य है आपको #motivate करना, बाकी का काम आपका है.