समय पर आधारित कहानी | छात्रों के लिए हिंदी भाषण
लघु कथा समय पर आधारित कहानी छात्रों के लिए प्रेरक भाषण यां फिर एक motivate speech रहेगी जिसको छात्र लोग मंच पर अपने टीचरो और साथीयों यां फिर किसी खांस दिन जैसे की 26 जनवरी पर साझा कर सकते हो.
इस स्पीच को पढ़ने के बाद चाहे कोई छात्र हो यां फिर कोई आम इंसान यां फिर कोई नौकरी करना वाला हो उसको समय की कीमत के बारे में पता चल जाऐगा.
यह आपके लिए समय के सदुपयोग पर सुविचार है. नीचे छोटी सी रचना आपकी सेवा में पेश की है पढ़े और आंनद ले आपकी अपनी भाषा हिन्दी में.
समय ठीक वैसे हीं है ………….जैसे हम गिलास में भरे पानी को
धरती पर डाल देते है……… और वो वापिस नहीं लाया जा सकता
ठीक उसी तरहां …………….वक्त जो बीत गया ………..उसको वापिस नहीं लाया जा सकता.
समय पर आधारित कहानी | छात्रों के लिए हिंदी भाषण
बात बहुत पुराने समय की है उस समय की जिस समय लोग ज्यादा तर गांव में रहा करते थे बात एक गांव की है और यहां के लोगों की गिणती बहुत हीं कम है.
क्योंकि इस गांव में कवेल 30 35 हीं घर है और यहां के लोग अपना गुजारा छोटा — मोटा काम करके हीं करते है दुसरी तरफ गांव में एक वैद जी रहते है और इन का दवाखाना बहुत हीं पूराना है.
दवाखाने के बाहर जो बोर्ड लटक रहा है उस पर मिटी चडी है और वो टूटा है एक कुआ उस पर बैठा है सुबह का समय है,वैद जी ने अंदर से दरवाजा खोला तो सूरज की सीधी किरणे वैद जी के मंथे पर पडती है तो ऐसे में वेैद जी ने दोनों हाथ जोड कर सूये भगवान को परनाम किया और फिर अंदर की तरफ चले जाते है.
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वैद जी बाहर आते है हाथ में टूटा हुआ बोर्ड है और बोर्ड को उन्हों दवखाने के बाहर रख दिया और आस पास दो ईटे रख दी बाद में वैद जी अंदर की तरफ चले गए,यह बोर्ड की भी हालित ठीक उसी तरहां की है जैसे की उपर लटक रहे बोर्ड की है बोर्ड पर लिखा वैद जी का नाम पूरी तरहां से मिट चूंका है.
गांव के लोग इधर से उधर जा रहे है, तभी एक कुता आया और वो बोर्ड पर पिसाब करके आगे की तरफ चला गया.वैद जी अंदर आते है हाथ में उनके टेबल है.
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टेबल को बाहर रहखते और वापिस अंदर की तरफ चले गए, बाद में फिर वो वापिस आते है और दवाई वाला थैला लाकर पास पडी Chair पर रख दिया.
एक आदमी ने उनको साईकिल पर जाते — जाते राम — राम वैद जी बोला वैद जी हाथ खडा करते हीं अंदर की तरफ चले गऐ और अपने बेटे के कमरे में आ गए.
देखा की उनका बेटा अभी भी बिस्तर पर पडा मजा से सो रहा है,वैद जी पास लगी घडी की तरफ जाते है.जिस पर मिटी की धूल जमी है वैद जी धूल पर फूक मारते है और समय देखा की घडी पर सवेरे के 10 बज रहे है.
वैद जी …..सेवेरा हो गया उठ चल.
लड़का…….अगडाई लेते उठ गया.
वैद जी …..जल्दी उठा कर कितनी बार बोला है…….. तुम को सारा घर का काम तुमने मुझ पर छोड़ रखा है.
लड़का…….आप हो ना बाबा ..घर का काम करने के लिए.
वैद जी …..मैं कब तक हूं बेटा….बाद में तुमको पछताना पडेगा………..वक्ती की कीमती नहीं जानता.
बाद में वैद जी यह कहते कमरे से बाहर की तरफ चले गए,लड़का फिर सो गया और फिर उठकर रसोई की तरफ गया और हाथ — मुंह धोकर बाहर आकर बैठ गया वैद जी लोागें को दवा देने में जुडे है.
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वैद जी का लड़का फिर वापिस आया…… वैद जी के हाथ में पानी का गिलास है और लड़ने ने अपने पिता से 100 रूपए मांगा, वैद जी पानी का गिलास नीचे रखते सो रपए मांगने की बजा पूछते है.तो वो बोला की मैंने कांच की गोलीयां लेनी है और कल जो कॉच की गोलीयां ली थी वो मैं हार गया सारी की सारी.
वैद जी …………….. मैं तुमें आखिरी बार पैसा दे रहा हूं इसके बाद नहीं दूंगा.
लड़का………………..मुझे विशवास है की आप मुझे पैसा दे देगों.
वैद जी ………………समय की कीमत जान बेटा ….तूं समय की कीमत को नहीं समझ रहा.
लड़का ………………आप हर वक्त समय की कीमती की बातें करते रहते हो …….. कितू मेरी तो अभी उर्म खोलने की है.
वैद जी ……………..मैं यह नहीं कहता की तू खोल ना …लेकिन इसके लिए एक समय तय कर.
लड़का बिना कुछ कहे बाहर की तरफ चला गया और वैद जी मरीजों को दवाई देने में जुड जाते है.ऐसे करते शांम{ Evening } हो जाती है आंकश में बादल गजर रहे है.
ऐसा लग रहा है,की मानों अभी बारिश होने लगेगी,जब की यह सावन का महिना नहीं है.वैद जी ने कुर्सी और Table को कमरे के अंदर रख दिया और बाद में वापिस कमरे से बाहर आ गए और Name Board को उठाकर अंदर की तरफ ले गए।
तभी जोर दार हवा चलने लगी कमरे के अंदर रखी मोमबत्ती हवा की बजा से बूज जाती है. वैद जी दलहीज पर खडे अपने बेटे के आने की Wait कर रहे होते है.
आसमान में बादल गरज रहे है और हल्की — हल्की बूंदा — बादी हो रही है,तभी वैद जी को एक रौशनी नज़र धूधली सी नज़र आती है. तभी उनको उनका बेटा दिखाई दिया और जैसे हीं वो अंदर आया तो बारिश तेज हो गई,वैद जी ने बेटे से इनती देर घर से बाहर रहने का कारण पूछा तो वो कुछ नहीं बोला.
और सीधे अपनी राजपाई पर लेट गया वैद जी नां में सिर हीलाते हुऐ अपने कमरे की तरफ चले गए. सवेरा होता है लड़का अभी वी सो रहा है वैद जी दवाई देने में लगे है.
वैद जी …. …. …. बेटा अरे ओ बेटा
लड़का नहीं उठा वैद जी अंदर की तरफ आते है.
वैद जी .. …. …. बेटा उठों देखों दिन कहां तक पहुंच गया है.
लड़का उठा वैद जी ने उसको Samay ki kimat के बारे में समझया लेकिन वो वैद जी की सभी बातों को अनसुनी करके बाहर की तरफ चला जाता है.
वैद जी ……….पता नहीं क्यां होगा इस लड़के का यह Samay ki kimat ke bare mein नहीं जानता मेरे चले जाना के बाद क्यां होगा इसका ? समय की कीमत ना जाने वाले व्यक्ति ऐसे ही होते हैं जो की इसकी कीमती के बारे में नहीं जानते.
लडका फिर वापिस आ गया.
वैद जी .….. बेटा मेरी बात को गैर से सुन तूं कोई काम धंन्धा नहीं जानता क्यां होगा तेरा,अगर कुछ और नहीं करना तो आ मै तुझे अपने काम के बारे में सीखा देता हूं..कम से कम रोजी- रोटी तो चलती रहेगी.
लड़का……………पिता जी मेरे पास बहुत समय है आप मुझे समय की कीमत क्या होती है? उसके बारे में मत बताऐ यह कहते वो घर से बाहर की तरफ निकल गया.
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तकरीबन एक साल के बाद
लड़का अंदर से बाहर आया और उसने दवाईयों वाला बोर्ड लाकर बाहर रख दिया और फिर वापिस अंदर की तरफ चला गया तभी वहां पर एक आदमी आया और उसको गल्त दवाई देने की बजा से बोलने लगा तो ऐसे करके अब कोई भी गांव वाला उससे दवाई लेने के लिए नहीं आता
लडका घर पर यूं ही खाली बेटा होता है और अपने पिता जी दुबार कहीं बातें उसको याद आती है और मन हीं मन में सोच रहा होता है की कांश मैं कोई काम धंन्धा सीख लेता.पिता जी मुझे सहीं कहा करते थे की अगर ज्यादा नहीं तो मेरा काम हीं सीख ले तुमको घर से बाहर नहीं जानना पडेगा।
शाहिद समय की कीमत ना जाने वाले व्यक्ति मेरे जैसे ही होते होगे जो बाद में दो वक्त की रोटी के लिए भी तरसते होगें,कोई भी उसको काम देने के लिए राजी नहीं था क्योंकि हर कोई जनना था की वैद जी का लड़का नलाईक हेै एक दो ने उसको काम दिया भी लेकिन बाद में उन्होने उसको पैसे नहीं दिया तो ऐसे में लड़के की हालित बहुत खराब हो चुंकी थी.
इस लिए कहते है की समय की कदर करें नहीं तो
एक दिन वो आपकी कदर करनी छोड़ देगा।
अब लड़का भीख मांग कर अपनी जिन्दगी को वतीत करने लगा, एक दिन उसने बज़ार में चली जाती लड़की का फोन सीन लिया और बाद में वहां से अपने बजाउ के लिए भांगा, लेकिन जल्द बाजी में अपने बचाउ के चक्क्रर में वो एक गाडी में लगा जिसकी बजा से उसकी उसम समय मौत हो गई.
अंत में…………... हमें इस छोटी रचना {समय पर आधारित कहानी | छात्रों के लिए हिंदी भाषण} से सीख मिलती है… जो आदमी समय को मजाक में लेता है.तो समय बाद में उसका मजाक बनाता है.
Written by :- Sukhwinder Dhimaan { facebook.com/sukhwindersnghdhimaan}
धन्यवाद | Thanks for reading
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